पश्चिमके कदम सदा लूट केलिए उठे,हमारे पग सदा विश्वकल्याण हेतु आगे बड़े.जिस देश में गए,शोषण नहीं किया अर्थ व्यवस्था को उठाया.ऐसे समाज के प्रति मिडिया दुष्प्रचारसे ऑस्ट्रेलिया जैसी दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति,अन्यत्र हिन्दू समाज व हिदुत्व और भारत को प्रभावित करने वाली जानकारी का दर्पण है विश्वदर्पण. तिलक.(निस्संकोच ब्लॉग पर टिप्पणी/अनुसरण/निशुल्क सदस्यता व yugdarpan पर इमेल/चैट करें,संपर्कसूत्र- तिलक संपादक युगदर्पण 09911111611, 09999777358.

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बिकाऊ मीडिया -व हमारा भविष्य

: : : क्या आप मानते हैं कि अपराध का महिमामंडन करते अश्लील, नकारात्मक 40 पृष्ठ के रद्दी समाचार; जिन्हे शीर्षक देख रद्दी में डाला जाता है। हमारी सोच, पठनीयता, चरित्र, चिंतन सहित भविष्य को नकारात्मकता देते हैं। फिर उसे केवल इसलिए लिया जाये, कि 40 पृष्ठ की रद्दी से क्रय मूल्य निकल आयेगा ? कभी इसका विचार किया है कि यह सब इस देश या हमारा अपना भविष्य रद्दी करता है? इसका एक ही विकल्प -सार्थक, सटीक, सुघड़, सुस्पष्ट व सकारात्मक राष्ट्रवादी मीडिया, YDMS, आइयें, इस के लिये संकल्प लें: शर्मनिरपेक्ष मैकालेवादी बिकाऊ मीडिया द्वारा समाज को भटकने से रोकें; जागते रहो, जगाते रहो।।: : नकारात्मक मीडिया के सकारात्मक विकल्प का सार्थक संकल्प- (विविध विषयों के 28 ब्लाग, 5 चेनल व अन्य सूत्र) की एक वैश्विक पहचान है। आप चाहें तो आप भी बन सकते हैं, इसके समर्थक, योगदानकर्ता, प्रचारक,Be a member -Supporter, contributor, promotional Team, युगदर्पण मीडिया समूह संपादक - तिलक.धन्यवाद YDMS. 9911111611: :

Thursday, July 31, 2014

श्रावण मास और रमजान का महीना ||

श्रावण मास और रमजान का महीना ||
शुभ प्रभात बंधुओं ,
Madhvi Gupta साभार 
श्रावण मास और रमजान का महीना ||
|| कुछ रोचक जानकारियाँ, अवश्य पढ़ें ||
|| बंधुओं एक ज्ञानवर्धक लेख .....अवस्य पढ़ें और पढ़ाएं ||
* श्रावण मास शिव जी को समर्पित है और इस पवित्र माह में पार्वती जी भगवान शंकर जी से राम जी के जीवन चरित्र को सुनती (श्रवण) करती हैं |
* इसी राम कथा के सुनने और सुनाने (श्रावण) की परिपाटी में इस पवित्र माह को"श्रावण"कहा गया है | और विश्व भर के हिन्दू इस माह में सत्य नारायण की कथा और राम चरित मानस का पाठ करते हैं |
* वास्तव में गोस्वामी जी विरचित श्री राम चरित मानस में मास परायण का विश्राम भी इसलिए ही होता है | और इस दिव्य पुस्तक का नाम भी मानस इसलिए है की अपने मानस में बसे राम के चरित्र को शंकर जी माता पार्वती को सुना रहे है |
उदहारण : चौपाई में बहुत से स्थानों पर पार्वती का संबोधन जैसे"उमा राम सुभाऊ जेहि जाना",
"उमा जे राम चरन रत बिगत काम मद क्रोध","उमा राम की भृकुटि विलासा","उमा न कछु कपि कै अधिकाई".....अदि अदि
* आप सभी पाठकों से निवेदन है की सावन के इस पवित्र माह में आप भी राम जी के जीवन को पढ़ें और जानें किसी भी भाषा में | इन्टरनेट पर भी आप को राम चरित मानस मिल जाएगा |
* आप अपने मोबाइल के एंड्राइड ऐप और एप्पल पर भी कितने एप्लीकेशन पा सकते हैं जिसे डाउनलोड कर के आप कभी भी"श्री राम चरित मानस जी"और"श्री गीता जी"को पढ़ और जान सकते हैं |
* मित्रों इस्लाम के पवित्र महीना रमजान संस्कृत शब्द"रामज्ञान"का अपभ्रंस है | और मक्का विश्वप्रसिद्ध शिव लिंग भी था जिसे"कबालेश्वर महादेव"के नाम से जानते हैं | इस कारण सावन का महत्त्व वहां भी था मुहम्मद के समय भी |
* चुकी सावन में रामायण का पाठ सनातन से चला आ रहा है तो वो इसी की नक़ल कर के"रामदान"बना लिए |
* भारत को छोड़ पूरे संसार में रमजान को"रामदान"कहते है, आप गूगल पर भी देख सकते हैं | भारत में अपनी नक़ल छुपाने को इन्होने इसे "रमजान" कर दिया | जैसा की आप सभी जानते हैं की पैगम्बर के चाचा एक हिन्दू थे और अरब में भी आर्य संस्कृति का प्रभाव बहुत था |
* मुहम्मद साहब के चाचा ने एक पुस्तक भी लिखी थी"शायर उल ओकुल"जिसमें हिन्दू संस्कृति की भूरी भूरी प्रसंसा थी | बाद में मुहम्मद के जिहादियों ने उन्हें मार दिया था |
* नक़ल यहीं बंद नहीं हुई : गर्भा बना काबा, पुराण बना कुराण, संगे अश्वेत बना संगे अस्वाद, हमारा मलमास बना सफ़र मास, रवि से उनका रबी महिना, उनका ग्यारहवी शरीफ हमारे एकादशी (11) की ही नक़ल है | गृह से ही उनका गाह शब्द बना ईदगाह , दरगाह |
* उनका"नमाज"भी संस्कृत के नमत शब्द से बना है जिसका अर्थ है झुकना | नमस्ते शब्द भी इसी से निकला है |
* दिन में ५ बार नमाज हमारे वेदों के"पञ्च महा यज्ञ"की ही नक़ल है |
* मुसलामानों का त्यौहार "शब्बेरात"शिवरात्री का ही अपभ्रंस है |
*नमाज के पहले ५ अंगों को धुलना वेदों के"शरीर शुद्ध्यर्थं पंचांग न्यासः"का ही नियम है |
* ईद उल फितर हिन्दुओं का पित्री पक्ष (ईद उल पित्र )ही है | और ईद उल फ़ित्र में मुसलमान अपने पूरकों को ही याद करते हैं |
इस नक़ल की प्रक्रिया लेखन इतना लम्बा है ......पूरी किताब तैयार हो सकती है |

चलते चलते : कितने हिन्दू भाइयों को ये भी न पता होगा की पैगम्बर सिकंदर के ५०० साल बाद पैदा हुए थे और इसका अर्थ हुआ की चन्द्रगुप्त मौर्य के लगभग ४०० साल बाद | अभी बच्चा है ये.... जिसकी नक़ल करता है उसी को हेकड़ी भी दिखता है |
"वयं राष्ट्रे जागृयाम"......
आप सभी को श्रावण मास की शुभ कामनाएं |..
कभी विश्व गुरु रहे भारत की, धर्म संस्कृति की पताका;
 विश्व के कल्याण हेतू पुनः नभ में फहराये | - तिलक
अन्यत्र, हिन्दू समाज व हिदुत्व और भारत, को प्रभावित करने वाली
जानकारी का दर्पण है: विश्वदर्पण | आओ, मिलकर इसे बनायें; -तिलक